डर क्या है, क्यों है, और किसका परिचायक है ...
ये तो डरने वाला ही बताने के लायक है ॥
अस्तित्वविहीन हो कर भी साकार है ...
शायद डर कल्पित आकार है ॥
साकार या निराकार, शायद डर का अस्तित्व दोहरा है ...
डरने वाले का चेहरा ही डर का चेहरा है ॥
स्रोत्र कुछ भी हो पर भाव वही आते हैं ...
डरने वाले कुछ ऐसा बताते हैं ॥
ऐ डर तेरा ऐसा भी क्या डर है ..
क्यों मरने के बाद भी तेरा असर है ॥
Thursday, December 27, 2007
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1 comment:
Fundu...very nice...
if possible do recreate " Aur main zamidoz ho gaya..."
of all the ones posted here, i like Darr & Maa Sharda best...Maa sharde is a very nice composition.
nice effort . Keep up.
mohit
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